वाशिंगटन डीसी – अमेरिका की प्रमुख शिक्षण संस्था हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को उस समय बड़ा झटका लगा, जब व्हाइट हाउस ने उसे मिलने वाला 2.2 बिलियन डॉलर का अनुदान और 60 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त अनुबंध रोकने का निर्णय लिया। यह कार्रवाई ट्रंप प्रशासन की मांगों को हार्वर्ड द्वारा ठुकराने के बाद की गई है।
प्रशासन की मांग थी कि हार्वर्ड कैंपस में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को रोका जाए, लेकिन यूनिवर्सिटी ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा मानते हुए सरकारी हस्तक्षेप को खारिज कर दिया।
व्हाइट हाउस की मांगें क्या थीं?
ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड को एक पत्र भेजकर नीतिगत बदलाव करने की मांग की थी, जिनमें शामिल थे:
- योग्यता आधारित प्रवेश प्रणाली लागू करना
- विविधता और समावेशन (Diversity & Inclusion) की आंतरिक समीक्षा
- फेस मास्क पर प्रतिबंध
- कथित आपराधिक गतिविधियों से जुड़े छात्र संगठनों की फंडिंग रोकना
हार्वर्ड का जवाब: संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन गार्बर ने प्रशासन की मांगों को खारिज करते हुए कहा कि:
“यह कदम विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आज़ादी, और संविधान के प्रथम संशोधन के विरुद्ध है। किसी भी सरकार को यह अधिकार नहीं कि वह हमें बताए कि किसे प्रवेश दें या क्या पढ़ाएं।”
प्रशासन का पक्ष: जवाबदेही ज़रूरी
ट्रंप प्रशासन ने जवाब में कहा कि विश्वविद्यालय को मिलने वाला संघीय अनुदान केवल फंडिंग नहीं, बल्कि नागरिक अधिकार कानूनों के प्रति जवाबदेही के साथ आता है।
संयुक्त बयान में कहा गया:
"हार्वर्ड का रुख दिखाता है कि देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में कानून से ऊपर समझने की एक चिंताजनक प्रवृत्ति जन्म ले रही है।"