मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका और ईरान के बीच नया परमाणु समझौता करने की दिशा में ओमान में आज पहली बार सीधी वार्ता शुरू हो रही है। यह कदम क्षेत्रीय शांति के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, लेकिन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सैन्य कार्रवाई की चेतावनी ने इस बातचीत को और भी संवेदनशील बना दिया है।
➡️ 10 वर्षों बाद पहली सीधी बातचीत
➡️ ट्रंप ने ईरान को दी 2 महीने की डेडलाइन
➡️ परमाणु कार्यक्रम को बंद करने की शर्त
➡️ विफलता की स्थिति में परमाणु ठिकानों पर हमले की धमकी
➡️ ओमान फिर से बना मध्यस्थता का केंद्र
ईरान की जिद और परमाणु संवर्धन
ईरान की तरफ से लगातार यूरेनियम संवर्धन जारी रखने के संकेत मिल रहे हैं, जिससे अमेरिका की चिंताएं और बढ़ गई हैं। वहीं, विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह वार्ता असफल रही तो मध्य पूर्व में युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं।
2015 के समझौते की पुनरावृत्ति?
बराक ओबामा के कार्यकाल में 2015 में भी एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता हुआ था जिसमें ओमान ने बड़ी भूमिका निभाई थी। एक बार फिर ओमान इस संवेदनशील वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।
व्हाइट हाउस की सफाई
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि इस वार्ता का एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ईरान कभी परमाणु हथियार न बना सके।
- ओमान में परमाणु वार्ता
- ईरान यूरेनियम संवर्धन
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